रास्ते कहीं खत्म नहीं होते, हम एक बार अपनी मंजिल को छू लें,लेकिन ये भी सच है कि एक रास्ता पार होते ही दूसरी राह बाहें फैलाए हमारा स्वागत करने को तैयार होती है। बस देर इस बात की है कि हम जो मंजिल पा चुके है उसका मोह त्याग कर नए रास्ते को अपना लें...
गुरुवार, 21 जुलाई 2011
क्योंकि मैं आधुनिक हूँ...
मु्झे देखिए,
परखिए और पंसद आने पर
चुन लीजिए,
आप लगा सकते है मेरी बोली,
अरे घबराएं नहीं,
यदि आप पुरुष हैं तो कतई नहीं,
मेरी बोली आपकी जेब पर नहीं पडेंगी भारी,
मैं तो बस आपसे चाहती हूं कुछ झूठे वादे,
कुछ दगा और कुछ कटु शब्दों के पक्के धागे,
कहिए कि आप मुझे प्यार करते हैं,
गर आप चाहते हैं मेरे हाथों को चूमना,
कहें एक ठहाके के साथ कि आप मेरे बिना जी नहीं सकते
और छू लीजिए मेरी कमर को,
और इच्छाएं कुछ ज्यादा ही हैं,
तो करें एक और झूठा वादा,
शादी का,
फिर देखिए कैसे मैं बिझ जाऊंगी आप के नीचे,
घबराएं नहीं मेरी बोली में केवल बंधन नहीं है,
आप सहजता से पा सकते हैं मुक्ति भी,
क्योंकि मैं हूं आधुनिक नारी,
बस कह दें कि नहीं हो सकती शादी,
जरा से उल्हाने दें मेरी पढ़ाई और आधुनिकता के,
बस मैं तैयार हो जाऊंगी किसी और के लिए...
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16 टिप्पणियां:
बहुत ही गहन चिंतन कराती रचना.....
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
वाह ! शब्द,शैली,बिम्ब और भाव का अदभुत समन्वय है !
आभार !
कटु सत्यों को उकेरती बेबाक रचना. साहस के लिए बधाई
jabardast kataaksh. bravo.
कभी भी आशा न छोड़े। आशा एक ऐसा पथ है जो जीवन भर आपको गतिशील बनाये रखता है।
लाजवाब करती रचना ...आजकल आधुनिकता के नाम पर क्या हो रह है उस कटु सत्य को रेखांकित करती रचना ...पुरुष के मन का ...और वह सारे अत्रीके जानता है स्त्री को बरगलाने के या कह लीजिए मनवाने के ...उस का सुन्दर चित्रण..प्यार..उलहाने ...वादे...तारीफ़ ...सब कारगर हथियार हैं ....
बधाई स्वीकार करे...इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु...
बहुत सही और गंभीर रचना।
सादर
आज 22- 07- 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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गहन भावों का समावेश ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
यथार्थ को कहती अच्छी प्रस्तुति
अनीता जी, संकेतों के सहारे बहुत गहरी बात कह दी आपने।
बधाई।
.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।
पोस्ट करने के लिए आभार.
भावनात्मक तिस को उजागर करती नारी कि व्यथा जिसे कहने में पूरी तरह से सफल सच कहा तुमने न जाने कुछ लोगो को किसी को दर्द देकर सुकून क्यु मिलता होगा वो क्यु नारी कि भावनाओं को समझने कि कोशिश न करते होंगे चलो जाने दो पर बहुत खूबसूरती तुमने इन भावों को व्यक्त किया हम दुआ करेंगे तुम्हारी कलम ऐसे ही कई सवालों का पर्दा फाश करती रहे हमारी दुआएं तुम्हारे साथ हैं दोस्त जी |
अनिता जी, नमस्कार
आपकी सोच और आपकी रचना का मै लोहा मानता हुं. पहले भी पढा हुं, उसके बाद एफ.बी. पे आपको रिक्वेस्ट भी भेजा था....शायद आपने स्विकारना उचित नही समझा.
आपकी इस रचना को मै पटना से प्रकाशित होने वाले अपने साप्तहिक मे प्रकाशित करना चाहता हुं. उम्मीद है आप इजाजत देंगी. आप मुझे अपनी राय मेल कर दीजियेगा. shashi.sagar99@gmail.com
बेबाक, निर्भीक और बहादुर रचना. अब तो जी करता है कि आपसे एक दफा तो बात हो जाये.
आपकी
सुनीता
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