रास्ते कहीं खत्म नहीं होते, हम एक बार अपनी मंजिल को छू लें,लेकिन ये भी सच है कि एक रास्ता पार होते ही दूसरी राह बाहें फैलाए हमारा स्वागत करने को तैयार होती है। बस देर इस बात की है कि हम जो मंजिल पा चुके है उसका मोह त्याग कर नए रास्ते को अपना लें...
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जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम किस्से मुझे फिर से सुनाना. और पूछना मुझसे कि हुआ कुछ ऐस...
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जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम किस्से मुझे फिर से सुनाना. और पूछना मुझसे कि हुआ कुछ ऐस...
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वक्त-बेवक्त, हर वक्त, इंतजार रहता है, उंगलियों के पोरवों पर, हवा सा यार रहता है, वो रातें महसूस होती हैं लबों के सिरों पर, सिलवटों का...
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कागज पर खाली रेखाओं से बिखरे तुम कभी कभी मेरे लिखने का आधार बन जाते हो... होठों पर आड़ी तिरछी लकीरों से चिपके तुम कभी सहसा... मुझे छूकर चले ...