शनिवार, 12 सितंबर 2015

लिख दूं कि छोड़ दूं...

लिख दूं तुम्हें कि छोड़ दूं,
मेरे शब्दों,मेरे भावों
तुम्हें बांधू
या...
यूं ही हिला के छोड़ दूं

--

तुम्हें उड़ने दूँ स्वछंद कोरे पन्ने पर
या..
लपेट कर इक-दूजे में
रचना कोई उकेर दूं

--

निशब्द भावों तुम्हें,
भावहीन शब्दों तुम्हें,
क्योँ न आज,
भावार्थ दूं, शब्दार्थ दूं...

                              -- अनिता

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