जिसे कहने के लिए,
तुम्हारा इंतज़ार था,
वो बात कहीं छूट गई है।
जिसके सिरहाने सर रखकर
सोने को मैं,
बेकरारा थी,
वो रात कहीं टूट गई है।
अतृप्त से होठों पर
अक्सर जिह्वा फेर देती हूँ
फ़िर सहसा तुम्हें याद करने पर
जब कभी तुम हावी होते हो,
मेरी कल्पना पर,
सच, वो कुछ ज्यादा ही
उतावली हो उठती है,
तुम्हें जान पाने को,
तुम्हें छू पाने को
और करीब बुलाकर हैरान हो,
पूछने को कि 'अरे तुम यहां कैसे'?
रास्ते कहीं खत्म नहीं होते, हम एक बार अपनी मंजिल को छू लें,लेकिन ये भी सच है कि एक रास्ता पार होते ही दूसरी राह बाहें फैलाए हमारा स्वागत करने को तैयार होती है। बस देर इस बात की है कि हम जो मंजिल पा चुके है उसका मोह त्याग कर नए रास्ते को अपना लें...
गुरुवार, 16 अक्टूबर 2008
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जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...
जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम किस्से मुझे फिर से सुनाना. और पूछना मुझसे कि हुआ कुछ ऐस...
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मु्झे देखिए, परखिए और पंसद आने पर चुन लीजिए, आप लगा सकते है मेरी बोली, अरे घबराएं नहीं, यदि आप पुरुष हैं तो कतई नहीं, मेरी बोली आपकी जेब पर ...
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जिसे कहने के लिए, तुम्हारा इंतज़ार था, वो बात कहीं छूट गई है। जिसके सिरहाने सर रखकर सोने को मैं, बेकरारा थी, वो रात कहीं टूट गई है। अतृप्त...
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अकसर देखती हूं, राहगीर, नातेरिश्तेदार और यहां तक कि मेरे अपने दोस्तयार... उन्हें घूरघूर कर देखते हैं, उन की एक झलक को लालायित रहते हैं... -...
31 टिप्पणियां:
Sundar shabdon se bhaav ki abhi vyaktii,
badhaii sweekariye.
'अरे तुम यहां कैसे' ?
गया ही कहां था !
हा हा... बहुत बढ़िया. दिल खुश हो गया. keep it up...
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
Aneeta ji
Agar aap isi tarah lekhan se lau lagayengi aur achha aur shreshth padhkar achha aur shreshth likhne ka prayas karti rahengi, to nishchit janiye ki aap ko yeh reetapan mahsoos nahi hoga. Blog ki duniya meiN aapka swagat hai.
Subhash Neerav
www.setusahitya.blogspot.com
www.vaatika.blogspot.com
www.gavaksh.blogspot.com
www.srijansahitya.blogspot.com
www.srijanyatra.blogspot.com
आपकी कविता बहुत सुन्दर भाव रखती है
---मेरा पृष्ठ
गुलाबी कोंपलें
----------------------
---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम
बेहतरीन कविता के लिए बधाई स्वीकार करें........
खूब लिखें,अच्छा लिखें......
anita ji
bahut sundar kavita likhi hai aapne ..
bahut hi bhaavpoorn aur end ek classic punch line hai ...
badhai
meri poems ko padhiye
: www.poemsofvijay.blogspot.com
vijay
वो मजा कहां वस्ल-ए-यार में, लुत्फ़ जो मिला इंतजार में,
काश ये इंतजार कभी खत्म ही ना हो..
बहुत खूब, बहुत बढ़िया कविता।
aapke blog ke shirshak ko padh kar Niraj ki do pantiyan smaran ho aai hain..........
Isko bhi apnata chal usko bhi apnata chal, Rahi hain sab ek dagar ke sab par pyar lutata chal.
bahut khoob.
atyant sundar evam bhavpoorna kavita hai. manav hriday ki komalta se paripoorna.
saath hi aapne blog ke shiirshak ke neeche yah jo kuchh vaaqya likhe hain ,kitne arthpoorna hain.
aapke blog par first visit bahut achchha raha.
dhanywad.
kavita achchi lagi
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाऐं.
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
bahut khub,
likhte rahen....
shubhkamnayen...
bhukjonhi.blogspot.com
बहुत खूब, हिंदी ब्लोग्स में आपका स्वागत है
आप अच्छा लिखती हैं, लगातार लिखती रहा कीजिए। ब्लॉग अगर समय से अपडेट होता रहे तो अच्छा रहेगा।
आज का दिन ऐतिहासिक है। मैं आपके ब्लाॅग पर आया हूँ।
(दरअसल...)
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽ
संजय ग्रोवर, संवादघर
अच्छा लिख रही हैं। लगातार लिखती रहें। इतनी सुंदर कविता से भेंट कराने के लिए धन्यवाद
बहुत खूबसूरत एहसास........
अच्छी रचना ......
शुभ कामनाएं.................
रेशमी अहसासों की बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !लेखन में निरंतरता बनाये रखें !
बहुत........बहुत..........बहुत........ही अच्छी.....सच....सच्ची........!!
Aneeta Ji,
Blog jagat me aapka swagat hai..
yaha bhi aaye kabhi...
http://jabhi.blogspot.com
pahle aapka blog pada ...waah...fir aapki profile padi...waah wahh fir aapki kavita padi...mast yaar tussi to chha gaye...sheedhe or sateek vichar....aapko padkar achha laga or ha ab aapko mere blog par aana hai....or apni pratikriya deni hai....Intzaar mai??
Jai Ho Magalmay Ho
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
bhavnao ko vyakt karne ke liye shabdo ko bahut hi sahi prayog kiya hai,sachmuch bahut hi sundar rachana.
--------------------------"VISHAL"
अनीता जी,
बड़ी संवेदनशीलता के साथ आपने कविता में भावों और विचारों को अभिव्यक्त किया है । अच्छा लिखा है आपने । अभिव्यक्ति बडी प्रखर है । आगे भी इसी रचनात्मक ऊर्जा से साक्षात्कार होता रहेगा । मैन अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है- आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग । समय हो तो पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें-
httP://www.ashokvichar.blogspot.com
आपके भावो की अभिव्यक्त बहुत प्यारी होती है ....
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति
acha likh rahi hai tu. teri ye kavita meine ek saas mein padhi hai. gud yaar. keep it up.
chhavi
acha likh rahi hai tu. teri ye kavita meine ek saas mein padhi hai. gud yaar. keep it up.
chhavi
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