रास्ते कहीं खत्म नहीं होते, हम एक बार अपनी मंजिल को छू लें,लेकिन ये भी सच है कि एक रास्ता पार होते ही दूसरी राह बाहें फैलाए हमारा स्वागत करने को तैयार होती है। बस देर इस बात की है कि हम जो मंजिल पा चुके है उसका मोह त्याग कर नए रास्ते को अपना लें...
सोमवार, 3 जनवरी 2011
ये मेरी भावनाएं...
सुनों ये मृदु हैं,
सोम्य, नर्म और बुद्धिहीन हैं.
इन्हें देखो
ये मेरी भावनाएं हैं.
अरे-अरे छूओ नहीं,
कुछ कमजोर भी हैं ये.
तुम बस इन्हें देखो...
देखो कुछ देर यूं ही,
क्योंकि वे जरा संकोची भी हैं,
लचीली और बेहद कोमल,
महसूस करो इनकी
मृदुलता को, सोम्यता को
और,
अट्हास करो इनकी बुद्धिहीनता का...
अंत में इन्हें छूना,
इनसे खेलना,
इन्हें चूमना,
तोड़-मरोड़ कर इनके बदन को,
कर देना इनका बलात्कार,
वह भी एक नहीं,
कई कई बार,
ताकि ये डर, सहम कर जाएं बैठ
कोने में कहीं,
और दोबारा न कर पाएं
किसी पुरुष संग जुड़ने का दुस्साहस...
अनिता शर्मा
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16 टिप्पणियां:
man ki bhaavnaaye man se likhi hain to sacchi to honi hi hain. aapne shabdon se sawar kar sunder roop diya inhe.
bahut khoob Anita ji...........me to fan ho gaya apka
सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
बहुत लम्बे अंतराल के बाद बेहतरीन रचना!
बहुत ही भावपूर्ण कविता ..... सुंदर प्रस्तुति.
नये दशक का नया भारत ( भाग- २ ) : गरीबी कैसे मिटे ?
सटीक, सार्थक तथा सारगर्भित
kaaya kahan hai pahale aap samaj to lijeeye Anita jeee.
गज़ब की भावाव्यक्ति।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
भावों की कोमलता है,निश्चय में दृणता है,शब्दों में ग़ज़ब की सम्प्रेषणीयता है.
गहन संवेदनाएं
bhut accha aur such jisme bhut gahraayi hoti hai likhti hai....
aapki bhavnaayen sahi hain aur in ke liye beshak aaj ke daur ka insaan hi zimmedaar hai
सार्थक
एक दोस्त ने बताया आपके ब्लॉग के बारे में
जब ब्लॉग नही खोल पाई तो उसने पढ़कर सुनाई आपकी कविता
इससे ज्यादा किसी कवि मन के लिए बढ़कर और क्या होगा
आपकी कविताओं की बेबाकी बेहतरीन है
jo bhi likha hai aapne uski gahraaiyon me utarna muskil
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