बुधवार, 28 मार्च 2012

प्रतीक्षा

मैं कुछ लिखना चाहती हूं...
लेकिन शब्‍द कहीं खो गए हैं.
मैं कुछ सोचना चाहती हूं...
लेकिन भाव कहीं सो गए हैं.
मुझे लिखना होगा
शब्‍दों के मिलने तक.
मुझसे सोचना होगा,
भावों के जगने तक...

 ...अनिता शर्मा

5 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया।


सादर
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‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

Tripurari ने कहा…

लगभग सात महीने के बाद स्वागत...
नए पोस्ट का...
उम्मीद है सिलसिला जारी रहेगा...
एक अच्छे भाव के लिए बधाई...

अनिल ने कहा…

२३ अगस्त २०११ के बाद शायद ही कोई दिन रहा होगा जब आपके ब्लॉग पैर विजिट ना किया हो, पर आज फिर से आपकी वापसी पर खुश हूँ कि फिर से शब्दों कि जादूगरी पढ़ने को मिलेगी ! बहुत सुंदर ढंग है आपका अभिव्यक्ति का! धन्यवाद फिर से लौटकर आने का!

SCORLEO ने कहा…

२३ अगस्त २०११ के बाद शायद ही कोई दिन रहा होगा जब आपके ब्लॉग पैर विजिट ना किया हो, पर आज फिर से आपकी वापसी पर खुश हूँ कि फिर से शब्दों कि जादूगरी पढ़ने को मिलेगी ! बहुत सुंदर ढंग है आपका अभिव्यक्ति का! धन्यवाद फिर से लौटकर आने का!

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

shukriya. fir lauti hun. kabhi na jaane ke liye

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम कि‍स्से मुझे फि‍र से सुनाना. और पूछना मुझसे क‍ि हुआ कुछ ऐस...