बुधवार, 25 मार्च 2009

कुछ ऐसे मुझे याद करना

तुम्हारी माने तो,
अब हमें जुदा होना होगा,
एक दूजे को हमेशा के लिए,
खोना होगा,
पर सुनो,
कभी गलती से तुम्हें,
अगर मैं स्मरण हो आउं,
तो अपनी आंखे बंद करना,
और हल्के से मुस्करा देना,
उन पलों के लिए,
जो स्नेहपूर्ण थे,
और बाद में मेरे दर्द का आधार बनें,
उन्हें याद करना तब,
जब तुम कभी बहुत दुखी हो,
या,
खुद को अकेला पाओ,
मेरे जख्मों के लिए यह काफी होगा,
तुम्हारा साथ न मिला तो क्या,
जब तुम याद करोगे,
तो मैं हमेशा महक उठूंगी,
मेरी यादों में तुम न हो तो भी,
मैं खुश हो लुंगी
यह सोच कर ही सही,
की
"पता नहीं क्यों आज मन बहुत खुश है"

7 टिप्‍पणियां:

rajdeep ने कहा…

touched my heart

अनिल कान्त ने कहा…

दिल की आरजू भी बड़ी अजीब होती हैं ......हमेशा कुछ ऐसा चाहती हैं जिसमे हमेशा चाहते रहने की फरमाइश हो ...
आपने दिल से लिखा और हमारे दिल में उतर गया

रंजू भाटिया ने कहा…

मन के भावों का सुन्दर बहाव दिखा आपकी इस कविता में ..आप हमेशा खुश रहे ..

डॉ .अनुराग ने कहा…

अच्छी लगी ये ख्यालो की रवानगी

Unknown ने कहा…

ये मुकदर का दोष है या सितारों की खता है

आप साथ नहीं हमारे, क्‍या ये खुदा की रजा है
दिल में आप धड़कन की तरह रहते हैं

फिर कैसे कह दें कि आप हमसे जुदा हैं



बहुत खूब, दिल की बातों को सहजता से कहना कोई आपसे सीखे

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत बढिया भाव ... सुंदर रचना।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

ह्म्म्म्म्म्म्म कुछ कुलबुलाने लगा है मेरे भीतर....खैर इस उम्दा भाव के लिए आपको बधाई....!!

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