रविवार, 4 अप्रैल 2010

मेरा अस्तित्व: वीर्य सा

मेरा अस्तित्व
तुम्हारे हस्तमैथुन से
गिर पड़े उस वीर्य सा है,
जिसे फेंकना
तुम्हारे लिए
जरूरी होगा,
---
काश कि
मेरा अस्तित्व
किसी के पेट में पलते
तुम्हारे वीर्य के
उस कण सा होता
जिसे देखना
तुम्हारे लिए
सबसे जरूरी होगा।

अनिता शर्मा

28 टिप्‍पणियां:

neelima garg ने कहा…

very different and fresh....

संजय भास्‍कर ने कहा…

sidha parhaar kiya hai...

संजय भास्‍कर ने कहा…

ekdum defferent

डॉ महेश सिन्हा ने कहा…

तूफान आ जाएगा

yugal mehra ने कहा…

क्या लिखा है, वाह वाह, क्या बात है,

Dr. C S Changeriya ने कहा…

meri samjh me nahi aaya yahi sacha he


kher ye aap ke man ke vichar he is me kuch nahi kah sakya hu


shekhar kumawat

निर्झर'नीर ने कहा…

कुछ कहना जरूरी तो नहीं फिर भी चुप नहीं रहा गया ..

क्या इस तरह के शब्द जरूरी है इस सागर से गहरे भावों को बंधने के लिए ?

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

shabdo se pare, meri bhavnao ko samjh sake to behtar hoga...

mene keval apne man k bhavo ko apke samne parosa he, ise swant sukhay bhi keh sakte hain...

artho or shabdo ki bahas se door ye kavita meri kori bhavnao ka roop hai, kripya unhain samjhe...

Unknown ने कहा…

nice

Unknown ने कहा…

पहली बार कम शब्‍दों में इतनी तीखी और झझकोर देने वाली बात पढने को मिली, सच्‍ची और कडवी बात लिखने का दुस्‍साहस करने के लिए बधाई

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

वर्जित को अवर्जना तक पहुंचाने का आपका प्रयास कुछ के गले नहीं उतरेगा परंतु सब तरफ यही तो हो रहा है। बस आपने स्‍पष्‍ट कर दिया है हिम्‍मत के साथ। बाकी कह नहीं पाते हैं डर डर कर भी।

एक निवेदन है कि हिन्‍दी के रास्‍ते में आ रही अंग्रेजी शब्‍द पुष्टिकरण की बाधा को हटायेंगी तो और अच्‍छा लगेगा।

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल ने कहा…

BAHUT BEBAAK HOKAR LEIKHATE HE

IRFAN ने कहा…

Very Bold!

भागीरथ ने कहा…

bahut teekhi maar hai.

sonal ने कहा…

उफ़ क्या लिखा है ,बेहद सारगर्भित ..तूफ़ान तो आयेगा ...
एक दम ताज़ा लेखन

संजय भास्‍कर ने कहा…

bahut teekhi maar hai.

Digpal Singh ने कहा…

मेरी दोस्‍त, मैं हमेशा से जानता हूं तुम कई बार बिना कहे भी बहुत कुछ कह जाती हो, लेकिन इस बार तुमने वर्जित शब्‍दों के इस्‍तेमाल से इतनी गहरी बात कह मारी कि मैं निर उत्‍तर हो गया। वाह यार तुम तो कमाल की शायर हो गई हो, छंद मुक्‍त ही सही और कुछ बोल्‍ड ही सही, लेकिन जो भी लिखती हो दिल को छू जाता है। www.basyunhe.blogspot.com

संजय भास्‍कर ने कहा…

sachmuch toofaan aa gya

Anshu ने कहा…

ye mujhe achi kyon lagi ye aapko bata chuka hoon phir bhi is tiipdin ke liye very-2-2-2-2-2-2-2-2-2-2-2-2 guddddddddddddddddddddddddd

Tripurari ने कहा…

कहाँ थी आप इतनी सदियों से ?

कितना अच्छा लिखती हैं आप ? पता भी है |

Tripurari ने कहा…

कहाँ थी आप इतनी सदियों से ?

कितना अच्छा लिखती हैं आप ? पता भी है |

nilesh mathur ने कहा…

लीक से हटकर लिखने में भी साहस की ज़रूरत होती है, आपकी इस रचना ने परम्परा और लीक तो जड़ से उखाड़ फेंका है, आपका प्रयास अच्छा है, लेकिन हिंदुस्तान में ये सब लोगों को हज़म नहीं होगा, क्योंकि यहाँ इस तरह की रचनाए प्रचलन में नहीं है, आपको पढ़कर एक अफ़्रीकी लेखिका की याद आ रही है, नाम भूल गया हूँ याद आने पर बताऊंगा, पढियेगा, उन्होंने भी कुछ इसी तरह की रचनाएँ लिखी थी और उन्हें कई सम्मान और पुरस्कार भी मिले थे!

श्रद्धा जैन ने कहा…

bahut gahri baat bahut alag se andaaj mein

Satish Saxena ने कहा…

ऐसे शब्दों का चयन अक्सर प्रकाश में आने के लिए किया जाता है , अगर आप का मंतव्य वह नहीं है तब आपका स्वागत है ब्लाग जगत में ईमानदार और निडर लेखकों की बहुत जरूरत है !

बेनामी ने कहा…

क्या आपकी कविता इसलिए अच्छी है क्योंकि हम इसे पढ रहे हैं. शायद हाँ, क्योंकि हम उसमे कुछ नया जोड़ते हैं. हम अपने आप को जोड़ते हैं, और यही उसे अद्वितीय बनती है.

और तो और, अगर हम इसे दस साल बाद पढें, तो इसके मायने फिर से बदल जाएंगे. लेकिन क्यों? क्योंकि हम भी बदल चुकें होंगे.

कला की कोइ भी रचना हममे से हर एक को अलग तरह से प्रभावित करती है और हमेशा बदलते वक्त के साथ ये अहसास दिलाती है कि हम कौन हैं और क्या हो गए हैं.

सुंदरता देखने वाले की नजर में है.

shyam gupta ने कहा…

एक मूर्खतापूर्ण रचना जो सस्ती लोकप्रियता के लिये लिखी गयी है--यह साहित्य नहीं साहित्य के नाम पर धन्धा है, कलन्क है...

navin ने कहा…

Mindblowing...hindi kavita manch per ek thandi bayaar ka sa aanand...!!

Madan tiwary ने कहा…

अच्छी कवितायें हैं छु जानेवालीं। संवेदना को फ़िर से जिंदा कर देती हैं। घाव भी करती हैं । मेरी बधाई ।

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ...

जब कभी तुम जिंदगी से थक जाओ, तो मेरे पास आना... बैठना घड़ी भर को संग, वो तमाम कि‍स्से मुझे फि‍र से सुनाना. और पूछना मुझसे क‍ि हुआ कुछ ऐस...