शुक्रवार, 30 मार्च 2012

मां, तू बहुत याद आती है...




मां, तू बहुत याद आती है...
ठीक सुबह की नींद सी मीठी तेरी याद,
अक्‍सर रात को नींद न आने वाला दर्द बन जाती है...
मां, तू बहुत याद आती है,
पलकों के झपकने के नित्‍यकर्म में,
जैसे कभी आंखों में कुछ गिरने पर,
वो फड़फड़ा जाती हैं,
मां, तू बहुत याद आती है...
खाली प्रेम पत्र सा है तेरा नेही हृदय,
न जताने पर अपार संभावनाओं से भरा,
लेकिन जब जताती है,
तो पन्‍नों की कमी पड़ जाती है...
मां, तू बहुत याद आती है...

अनिता शर्मा

8 टिप्‍पणियां:

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया



सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

माँ के लिए जितना भी लिखा जाए कम है ... अच्छी रचना

Anand Rathore ने कहा…

bahut khoob...

संजय भास्‍कर ने कहा…

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

Kiran sahu ने कहा…

Best hai.. likhna band na karen.. and ap hamare blog par jarur visit kijyga..
www.hamarisafalta.blogspot.in

Thanks again

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

शुक्रिया

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

शुक्रिया संगीता जी

अन‍िता शर्मा (Anita Sharma) ने कहा…

शुक्रिया संगीता जी

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