गुरुवार, 19 जुलाई 2018

बेतकल्लुफी...

दिन के अंधेरे और रात के उजाले में,
जब कभी तुम यूं ही लौट आओ अपने आने-जाने में,
मुझे पुकार लेना, रोक लेना जरा इशारे से.
पूछना मुझसे तुम, क्या कहते हैं जमाने वाले,
हमारे और तुम्हारे बारे में.
हम बेतकल्लुफी से तुम्हें हर दर्द दिखाएंगे,
तुम जरा रो देना हम पर, हमारे दर्द पर,
फ‍िर देखना कैसे हम पर खि‍लखिलाकर ये जमाने वाले बेतहाशा मुस्कुराएंगे...

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